(जयपुर से वीरेंद्र आर्या) : राजस्थान विधानसभा चुनाव में माहौल बनने से पहले भाजपा और कांग्रेस ने बड़े नेताओं की घेराबंदी को लेकर कई दावे किये, लेकिन दोनों ही बड़े चेहरों के आगे चुनौती नहीं खड़ी कर पाये. भाजपा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के सामने कोई चौंकाने वाले चेहरे नहीं उतारे. यही हाल कांग्रेस का भी रहा. कांग्रेस के अधिकतर उम्मीदवार भाजपा की वसुंधरा राजे हों या सांसद, इक्का-दुक्का को छोड़ किसी की राह में खास मुश्किल खड़ी नहीं कर पा रहे हैं.
अशोक गहलोत: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की परंपरागत सीट जोधपुर की सरदारपुरा पर भाजपा ने महेंद्र सिंह राठौड़ को उतारा है. गहलोत पांच बार सांसद और पांच बार विधायक, तीन बार मुख्यमंत्री, तीन बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे हैं. वसुंधरा राजे समर्थक राठौड़ को टिकट देकर भाजपा ने गहलोत की राह आसान कर दी है. समर्थकों का मानना है कि गहलोत को अपनी सीट को लेकर किसी तरह की परेशानी खड़ी नहीं होनेवाली है.

वसुंधरा राजे: राजस्थान में दो दशक से भी ज्यादा भाजपा का चेहरा रहीं वसुंधरा राजे के खिलाफ कांग्रेस ने स्थानीय नेता रामलाल चौहान को टिकट दिया गया है. राजे पांच बार सांसद, चार बार विधायक, दो बार मुख्यमंत्री रहीं हैं. चौहान यहां पंचायत समिति की राजनीति करते हैं. इस सीट पर नहीं, पूरे हाड़ौती में राजे का प्रभाव है. राजे समर्थकों को खास परेशानी नहीं आनेवाली है.

सचिन पायलट : कांग्रेस सरकार में गहलोत से लगातार तकरार रहने के कारण सचिन पायलट छाये रहे. उनके सामने भाजपा ने पूर्व विधायक अजीत सिंह मेहता को उतारा है. मेहता को संघ का साथ मिल रहा है, लेकिन पायलट जैसा कद नहीं है. ऐसे में पायलट समर्थक टोंक सीट पर भाजपा को कोई खास चुनौती नहीं मान रहे हैं.
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