Publish Date: | Sun, 19 Mar 2023 09:06 PM (IST)
Bhopal News : भोपाल (राज्य ब्यूरो)। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा है कि उन्हें ‘ राजा साहब ‘ न कहा जाए। दिग्विजय कहें या नाम के आगे “जी” लगा लें। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र राजशाही में नहीं जनता के राज में होता है। मैं राजशाही का नहीं लोकतंत्र का प्रतीक हूं।
वह रविवार को रवींद्र भवन में लोकतंत्र में युवाओं की भूमिका विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। यहां मौजूद कुछ लोग उन्हें राजा साहब बोल रहे थे, इस कारण उन्होंने आपत्ति की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश में तानाशाही चलाना चाहते हैं। अदाणी की बात संसद में नहीं करने दी जा रही है। कार्यक्रम का आयोजन सामाजिक कार्यकर्ता सुनील आदिवासी ने किया था।
दिग्विजय ने कहा कि देश में जितनी आबादी, अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की है, उसी अनुपात में उनके लिए बजट का प्रविधान किया जाना चाहिए। कुछ राज्यों ने इसके लिए नियम भी बनाया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में इनका बजट बड़े-बडे आयोजनों, पंडाल लगाने में और उन्हें वाहनों में भरकर लाने में खर्च हो रहा है। यह मानसिकता है भाजपा की। शिक्षा के माध्यम से इन्हें आगे लाया जा सकता है, पर अभी बैकलाग के पद खाली हैं। एसटी-एससी को जो पट्टे दिए गए थे वह रद किए गए। भाजपा के राज में सबसे ज्यादा आदिवासियाें की जमीन बिकी है। दरअसल, उनकी मानसिकता मनुवादी है। ऐसी ही सोच अधिकरियों-कर्मचारियों की है।
कांग्रेस सरकार में बना था पेसा कानून
अभी पेसा की बात खूब चल रही है। पेसा कानून 1996 में संसद के दोनों सदनों से पास हुआ था। इसके बाद मध्य प्रदेश पहला राज्य था जहां इसके तहत नियम बनाए गए। पहली ग्राम सभा बस्तर में एक पेड़ के नीचे हुई थी। ग्राम स्वराज के कानून बने पर 2003 के बाद सब ठप कर दिया। प्रदेश में कांग्रेस के 27 आदिवासी विधायक चुने गए थे, लेकिन एक विधायक सिर्फ बिसाहूलाल सिंह बिका।
Posted By: Hemant Kumar Upadhyay
Source link
Recent Comments