Consumer Commission: इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। वेटिंग लिस्ट क्लीयर करने में गलती रेलवे को भारी पड़ी। जिला उपभोक्ता आयोग ने रेलवे पर छह हजार रुपये का हर्जाना लगाया। इस फैसले को चुनौती देते हुए रेलवे ने राज्य उपभोक्ता आयोग के समक्ष अपील प्रस्तुत की, लेकिन उसे वहां भी राहत नहीं मिली। आयोग ने भी माना कि रेलवे की गलती की वजह से एक व्यक्ति को वातानुकूलित श्रेणी के बजाय सामान्य कोच में बैठकर यात्रा करना पड़ी। उसे परेशान होना पड़ा।
मामला इंदौर की स्कीम 114 निवासी सीमा सक्सेना का है। उन्हें 5 मार्च 2014 को अहमदाबाद जाना था। उन्होंने रेलवे के अधिकारिक रिजर्वेशन पोर्टल के जरिये 26 फरवरी 2014 को ही आने-जाने के दो टिकट वातानुकूलित श्रेणी के बुक किए थे। उनका वापसी का टिकट वेटिंग लिस्ट में पहले नंबर पर था। परिवादी ने जब रेलवे की आरक्षण सूची देखी तो उसमें उनके नाम का कहीं उल्लेख नहीं था, जबकि वेटिंग लिस्ट में दो से सात नंबर तक के यात्रियों के टिकट कंफर्म करते हुए उन्हें बर्थ उपलब्ध करवा दी गई थी।
रेलवे को शिकायत के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
रेलवे के इस कृत्य की वजह से परिवादी को सामान्य श्रेणी के कोच में यात्रा करते हुए अहमदाबाद से इंदौर आना पड़ा। उन्होंने इस संबंध में रेलवे को सूचना पत्र जारी किया, लेकिन जब इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष रेलवे के खिलाफ एडवोकेट राजेश सक्सेना के माध्यम से परिवाद प्रस्तुत किया।
Posted By: Hemraj Yadav
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