Monday, March 27, 2023
spot_img

Crime File Column Indore: ब्लैकमेलिंग के ठिये बन गए थाने

Publish Date: | Mon, 27 Feb 2023 01:19 PM (IST)

Crime File Column Indore: मुकेश मंगल, इंदौर (नईदुनिया)। जोन-2 के ज्यादातर थाने ब्लैकमेलिंग के ठिये बन चुके हैं। सबसे ज्यादा जांच और कार्रवाई की मार इस जोन के पुलिसकर्मी झेल रहे हैं। ताजा मामला एमआइजी थाने का है। अनाज कारोबारी रवि अग्रवाल को हनीट्रैप में फंसा कर 50 लाख रुपये वसूलने वाले का कारनामा इसी थाने के पुलिसकर्मियों ने किया था। इस बार मुंबई के बड़े कारोबारी को धमकाया जा रहा था। पहले एक युवती से दुष्कर्म की शिकायत करवाई। घबराए कारोबारी ने युवती से समझौता कर लिया, लेकिन पुलिसवालों से ‘मुलाकात’ छूट गई। सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत करवाई और पुलिसवालों ने फोन लगाना शुरू कर दिए। कारोबारी से स्पष्ट शब्दों में कहा कि जांच तो आठ लाख रुपये में ही बंद होगी। मामला आयुक्त हरिनारायणाचारी मिश्र तक पहुंचा तो एक पुलिसकर्मी को थाने से हटाकर एसीपी भूपेंद्रसिंह को जांच सौंपी गई।

डीसीपी के बंगले पर थाना प्रभारियों का प्रतिबंध

आयुक्त प्रणाली के बाद पदस्थ कुछ डीसीपी साख को लेकर चिंतित हैं। तत्कालीन एसपी करीबी थाना प्रभारियों को बंगलों पर बुला लिया करते थे। विवादित प्रकरण और शुभ-लाभ की ज्यादातर चर्चा बंगले पर ही होती थी। नए सिस्टम में इक्के-दुक्के अफसरों को छोड़ कुछ डीसीपी ने थाना प्रभारियों से दूरी बनाना शुरू कर दी है। एक डीसीपी ने तो थाना प्रभारियों के बंगले आने पर प्रतिबंध लगा दिया है। कई बार ऐसे मौके भी आए जब जरूरी काम से रात के वक्त थाना प्रभारी को बंगले जाना पड़ा, लेकिन डीसीपी उन्हें बंगले से लौटा कर खुद कार्यालय पहुंच गए। पूर्व में एडिशनल एसपी रहे डीसीपी की गिनती ईमानदार अफसरों में होती है और आयुक्त हरिनारायणाचारी मिश्र व डीसीपी सुधीर कुमार शर्मा के पसंदीदा अफसरों में शामिल हैं।

आइजी अनुराग और आशीष के नाम पर चर्चा

पुलिस आयुक्त के लिए पुलिस मुख्यालय में जमकर उठापटक चल रही है। पूर्व में पदस्थ अफसर इंदौर आयुक्त पद की जद्दोजहद में लगे हैं। वर्तमान आयुक्त हरिनारायणाचारी मिश्र चुनाव आयोग की जद में आने के कारण जाना चाहते हैं। वे एसएसपी, डीआइजी, आइजी और आयुक्त रह चुके हैं। जैसे ही उनके तबादले की सुगबुगाहट शुरू हुई, उज्जैन आइजी संतोष सिंह का नाम सबसे पहले उछला। बाद में आइजी अनुराग व डा. आशीष के नाम पर चर्चा होने लगी। अनुराग सीबीआइ में रहे हैं और प्रतिनियुक्ति से प्रदेश में वापसी हुई है। वे आयुक्त मिश्र के बैचमेट भी हैं। डा. आशीष मुख्यालय एसपी रह चुके हैं।

तबादले के बाद जांच में फंसेंगे पुलिस अफसर

तबादले के बाद कई पुलिसकर्मियों का लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू जैसी जांच एजेंसी की जद में आना तय है। निरीक्षक और उपपुलिस अधीक्षक स्तर के अफसर हैं जो आयुक्त प्रणाली के पहले से शहर में पदस्थ हैं। शिकायतें तो पहले भी हुईं, लेकिन प्रभाव और संपर्कों से जांच ठंडे बस्ते में डलवा दी। बताते हैं जिन अफसरों पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं, उनमें ज्यादातर निवेशक बन गए। इंटेलिजेंस तो इसकी पहले ही रिपोर्ट बना चुका है। इस रिपोर्ट में छह टीआइ की कार्यप्रणाली और उनके संपर्कों का उल्लेख है, जिनसे मिलकर न सिर्फ संपत्ति बनाई बल्कि उनके विरुद्ध दर्ज अपराधों में भी भरपूर सहयोग किया। कुछ निरीक्षक ऐसे भी हैं, जिनकी डीसीपी और एडीसीपी स्तर के अफसरों ने हटाने की सिफारिश की, लेकिन बात लीक होने पर राजनेताओं के माध्यम से उन पर दबाव बनवा दिया।

Posted By: Hemraj Yadav

Mp

 


Source link

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments