Publish Date: | Mon, 06 Mar 2023 12:32 PM (IST)
Crime File Indore: क्राइम फाइल, मुकेश मंगल।
नगरीय सीमा में पदस्थ एडिशनल डीसीपी और एसीपी स्तर के अफसर थाना प्रभारियों से परेशान हैं। न उनकी फटकार का असर होता है, न उनके पत्राचार को तवज्जो मिलती है। यही वजह है कि अफसरों ने थाना जाना ही छोड़ दिया है। सबसे ज्यादा गड़बड़ पूर्वी क्षेत्र में हो रही है। शुरुआत में अफसर थाना प्रभारियों पर हावी भी हुए। औचक निरीक्षण में अनावश्यक रूप से बैठाए गए युवकों को न सिर्फ छुड़ावाया, बल्कि थाना प्रभारी के विरुद्ध उसी थाने में लिखा-पढ़ी करवाई। थाना प्रभारियों को सख्ती नागवार गुजरी और अफसरों की दखलअंदाजी पर रोक लगवा दी। गुस्साए एडिशनल डीसीपी ने थाने की तरफ जाना बंद कर दिया। एसीपी ने उनके विरुद्ध पत्राचार किया, लेकिन थाना प्रभारियों ने सभी रद्दी की टोकरी में डाल दिए। खास बात यह किस्सा डीसीपी और अतिरिक्त पुलिस आयुक्त तक भी पहुंचा, लेकिन न थाना प्रभारियों का रवैया बदला, न अफसरों को कार्रवाई की छूट मिली।
क्राइम ब्रांच में रुकना नहीं चाहते एसीपी
आयुक्त प्रणाली में सबसे ज्यादा मजबूती क्राइम ब्रांच को मिली, लेकिन एसीपी स्तर के अफसरों का मन नहीं लग रहा है। एक वक्त था जब अफसर क्राइम ब्रांच में पोस्टिंग के लिए जुगाड़ लगाते थे, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में एक भी एसीपी संतुष्ट नहीं है। इसका मुख्य कारण निचले स्टाफ की मनमर्जी और अफसरों का अधिकार विहीन होना है। केबिन और वाहन-ड्राइवर भी नहीं मिल रहे हैं। क्राइम ब्रांच में अभी छह एसीपी पदस्थ है। तीन एसीपी को गाड़ी मिल गई लेकिन तीन निजी वाहनों से आते है। जिन एसीपी को गाड़ी मिली वह बीच रास्ते में खड़ी हो जाती है। बताते है उन्होंने पिछले दिनों भोपाल जाकर तबादले की गुहार भी लगा दी है। इसके पूर्व एक एसीपी खुद को क्राइम ब्रांच से हट कर अफसर के कार्यालय चले गए। दूसरे एसीपी ने उन जांचों से इन्कार कर दिया जिसमें गड़बड़ी की बू आ रही थी।
खाली थानों में पोस्टिंग में बाजी मार गए टीआइ
प्रमोशन के बाद रिक्त हुए थानों में पोस्टिंग में तीन टीआइ बाजी मार गए। 10 टीआइ ने भी खुब हाथ पैर मारे लेकिन बात नहीं बनी। सुनील श्रीवास्तव (सदर बाजार), अजय कुमार मिश्र (राजेंद्रनगर) और पवन सिंघल (छत्रीपुरा) टीआइ के डीएसपी बनने के बाद तीनों थाने खाली थे। पुलिस लाइन में पदस्थ निरीक्षकों ने थाना हथियाने के लिए जुगाड़ लगाना शुरू कर दी। आयुक्त हरिनारायणाचारी मिश्र ने भी स्पष्ट कर दिया कि तबादले-पोस्टिंग पीएचक्यू की लिस्ट के बाद ही होगी। इंतजार में बैठे निरीक्षक उस वक्त हैरान रह गए जब निरीक्षक कपिल शर्मा (छत्रीपुरा), नीरज मेढ़ा (राजेंद्रनगर) और सतीश द्विवेदी को सदर बाजार भेज दिया। तीनों निरीक्षकों की पोस्टिंग होली के कारण मौखिक आदेश से हुई, लेकिन पुलिस लाइन में बैठे 10 निरीक्षक इस खबर से निराश हो गए। लंबे समय से लूप लाइन में वक्त गुजार रहे कुछ निरीक्षक आश्वस्त थे कि उन्हें इस बार थाने की जिम्मेदारी मिल जाएगी।
खत्म हो गई कंट्रोल रूम की रौनक
एक वक्त था जब रानी सराय स्थित पुलिस कंट्रोल रूम पर एक आवेदकों का मजमा लगा रहता था। हरिनारायणाचारी मिश्र के आयुक्त कार्यालय चले जाने के बाद अफसर निश्चिंत हो गए। सुनवाई न होने से लोगों का भी भरोसा उठ गया। हालांकि आयुक्त कार्यालय पर वैसी ही भीड़ लगती है जैसी मिश्र के डीआइजी रहते लगा करती थी। पुलिस कंट्रोल रूम पर प्रति मंगलवार होने वाली जनसुनवाई का भी कमोबेश यही हाल है। दो अतिरिक्त पुलिस आयुक्त बैठते तो हैं लेकिन सुनवाई एडीसीपी और एसीपी से करवाते हैं। अतिरिक्त पुलिस आयुक्त राजेश हिंगणकर अपराध और मुख्यालय का जिम्मा संभालते हैं इसलिए थानों से संपर्क नहीं रखते। अतिरिक्त पुलिस आयुक्त मनीष कपूरिया के पास शहर की जिम्मेदारी है लेकिन वो सुनवाई में नहीं जाते। पुलिस कंट्रोल रूम पर अब कम ही लोग आते हैं। यही वजह है कि खचाखच भरा रहने वाला हाल अब मंगलवार को भी खाली पड़ा रहता है।
Posted By: Sameer Deshpande
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