Publish Date: | Sun, 26 Mar 2023 03:05 PM (IST)
Famous Personalities of Indore: गजेंद्र विश्वकर्मा इंदौर (नईदुनिया)। समाज में ऐसा बहुत कुछ घटित होता है, जो सकारात्मक है। इस सकारात्मक को समाज के सामने पुरजोर सम्मान के साथ रखना अखबार का दायित्व होता है। नईदुनिया इसी प्रयास में आज से शुरू कर रहा है विशिष्ट स्तंभ – नाम ही काफी है। इसमें ऐसे दिग्गजों की कहानी होगी, जिन्होंने परिश्रम की पराकाष्ठा करते हुए ईमानदारी, सच्चाई, विश्वास और संवेदनशीलता के साथ जीवन में अद्भुत सफलता पाई। अब उनका नाम ही उनका सबसे बड़ा परिचय है। आज शुभारंभ कर रहे हैं इंदौर के दिग्गज उद्योगपति विनोद अग्रवाल से।
सफलता के लिए कई कारणों को गिनाया जाता है, लेकिन असल जिंदगी में कुछ ऐसी बातें हैं, जिनका पालन अगर हम कर लें, तो सफलता प्राप्त करने से कोई रोक नहीं सकता। लगातार कड़ी मेहनत और ईमानदारी, ऐसे दो शब्द हैं, जिनके सामने हर असफलता छोटी पड़ जाती है। इन्हीं दो शब्दों के बल पर इंदौर के उद्योगपति और समाजसेवी विनोद अग्रवाल शून्य से शिखर तक पहुंचने में सफल हुए। एक समय था जब वे महज 500 वर्ग फीट के मकान में आठ भाई-बहनों और माता-पिता के साथ रहते थे। घर में साइकिल तक नहीं थी। किंतु अब वे सबसे मध्य प्रदेश के सबसे अमीर तो हैं ही, उनकी गिनती देश के धनाढ्य लोगों में भी होती है।
लगातार प्रयास करने के बाद ही मिलती है सफलता
नईदुनिया से बातचीत में विनोद अग्रवाल कहते हैं- कोई भी व्यक्ति जन्म से बड़ा नहीं होता। बड़ा बनने के लिए तपस्या करनी पड़ती है। जीवन में लक्ष्य निर्धारित करने होते हैं। लक्ष्य की पूर्ति के लिए साधनों की जरूरत होती है। इन साधनों को प्राप्त करने के लिए बेहतर योजना बनानी पड़ती है। यह मेरा अनुभव है कि सफलता अचानक नहीं मिलती, इसके लिए लगातार प्रयास करते रहना चाहिए। वर्ष 2022 में विनोद अग्रवाल का नाम आइएफएल हुरुन इंडिया रिच लिस्ट में शामिल हुआ। वे 1037 अमीरों की सूची में देश में 279वें स्थान पर रहे। एडलगिव हुरुन इंडिया परोपकार सूची में भी उनका नाम शामिल हो चुका है। उन्होंने 25 करोड़ रुपये दान देकर मध्य प्रदेश में शीर्ष स्थान और भारत में 34वां स्थान प्राप्त किया। उन्हें आयकर विभाग द्वारा उच्चतम कर भुगतान पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
यूं हुई शुरुआत
हरियाणा के रोहतक में जन्मे विनोद अग्रवाल 1965 में जब दो साल के थे, तब उनका परिवार इंदौर आकर बस गया। इंदौर में पिता ने पहले नौकरी की, फिर ट्रांसपोर्ट बिजनेस शुरू किया। इसके बाद वे धीरे-धीरे कोयले के कारोबार से जुड़ते गए। विनोद आठवीं तक इंदौर के विद्या विजय बाल मंदिर में पढ़े। नौवीं से 12वीं की पढ़ाई दयानंद हायर सेकंडरी स्कूल से की। 15 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने परिवार के कोयला कारोबार की जिम्मेदारी संभाली और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। विनोद अग्रवाल अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता के आशीर्वाद और अपने बड़े भाइयों के मार्गदर्शन के साथ-साथ सालासर बालाजी महाराज के प्रति अपनी दृढ़ भक्ति को देते हैं। उन्होंने वर्ष 1985 में कोटा निवासी नीना अग्रवाल से विवाह किया। उनकी दो बेटियां और एक बेटा है।
यह है सफलता का मूल मंत्र
विनोद अग्रवाल जब इंदौर आए थे, तो एक साइकिल तक नहीं थी, लेकिन आज राल्स रायस सहित कई कारें हैं। वे कहते हैं, मैंने कभी नंबर वन बनने के लिए काम नहीं किया। जब सामाजिक कार्य किया, तो यह नहीं सोचा कि हम दानदाताओं की टाप लिस्ट में शामिल हो जाएंगे। हमने जो किया, उसे समाज के प्रति अपना कर्तव्य समझते हुए किया। भगवान की कृपा व कठोर परिश्रम से सबकुछ मिला। वे कहते हैं- मेरा मानना है कि व्यवसाय में धोखा न दें। हमेशा ईमानदारी से काम करें। अपने कर्मचारियों को परिवार जैसा रखें। वे आपके लिए समर्पित रहेंगे।
इंदौर से शुरू…अब दुनियाभर में फैला काम
विनोद अग्रवाल के एम्पायर की अग्रवाल कोल कार्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड देश के सबसे प्रमुख कोयला कंपनियों में से एक है। इंदौर से शुरू हुआ उनका कारोबार अब भारत सहित दक्षिण अफ्रीका, सिंगापुर, नेपाल और इंडोनेशिया तक में फैला है। सामाजिक कार्यों में उन्होंने बाम्बे अस्पताल के पास माधव सृष्टि चमेली देवी अग्रवाल मेडिकल सेंटर की स्थापना की। इसमें ओपीडी, डायलिसिस, फिजियोथेरेपी, योग केंद्र, एक्स-रे और प्रधानमंत्री जन-औषधि केंद्र की सुविधा बेहद सस्ती दरों पर प्रदान की है। उन्होंने अपने बालाजी ट्रस्ट के माध्यम से इंदौर में शंकरा आइ सेंटर और चमेली देवी अग्रवाल रेड क्रास ब्लड बैंक एंड डायग्नोस्टिक सेंटर, मेडिकल सेंटर, मूक-बधिर स्कूल और बंगाली पब्लिक स्कूल के निर्माण में उदार योगदान दिया है। राजस्थान के सालासर धाम में चमेली देवी अन्नक्षेत्र भवन, सभा सदन, सेवा सदन व लाला रामकुमार अग्रवाल गौ चिकित्सालय बनाया है।
अग्रवाल की सीख- जीतना है तो गांठ बांध लो
- कड़ी मेहनत करें, ईमानदार रहें।
- कमाई का कुछ हिस्सा समाज में लगाएं।
- ज्ञान का आदान-प्रदान करते रहें।
- संघर्षों से कभी डरे नहीं।
- सोना तपने के बाद ही निखरता है।
- अपने साथ काम कर रहे कर्मचारियों को परिवार के सदस्यों जैसा रखें।
Posted By: Hemraj Yadav
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