Publish Date: | Mon, 27 Feb 2023 11:01 PM (IST)
Gwalior High Court: ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। हाई कोर्ट की युगल पीठ ने सोमवार को जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए बीएससी प्रथम वर्ष व पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग प्रथम वर्ष की परीक्षा पर रोक लगा दी। कोर्ट ने मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर को लेकर बहस के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि इस यूनिवर्सिटी को विद्यार्थियों के अच्छे भविष्य के लिए खोला गया था, लेकिन यहां जालसाजी व घोटालों के अलावा कोई दूसरा काम नहीं हो रहा है। बिना सत्यापन, जांच के विद्यार्थियों की परीक्षा कराई जा रही है। अब याचिका की सुनवाई फिर से 14 मार्च को होगी। बता दें पोस्ट बेसिक नर्सिंग प्रथम वर्ष की परीक्षा 28 फरवरी और बीएससी नर्सिंग प्रथम वर्ष की परीक्षा एक मार्च से शुरू हो रही थीं।
जनहित याचिका दायर
दिलीप कुमार शर्मा ने पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग प्रथम वर्ष व बीएससी नर्सिंग प्रथम वर्ष की परीक्षा को लेकर जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता जितेंद्र शर्मा ने तर्क दिया कि मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी जबलपुर ने जुलाई 2022 से जनवरी 2023 के बीच कालेजों को संबद्धता दी। इसके बाद 11 से 18 फरवरी 2023 के बीच विद्यार्थियों का नामांकन किया गया। 28 फरवरी से परीक्षाओं की तारीख घोषित कर दी। संबद्धता देने से पहले विश्वविद्यालय ने न विद्यार्थियों का सत्यापन किया और विद्यार्थी ने कब प्रवेश लिया, यह भी नहीं देखा। जुलाई 2022 से जनवरी 2023 के बीच संबद्धता दी जा रही है और परीक्षाएं सत्र 2019-20 व 2020-21 की कराई जा रही हैं। विश्वविद्यालय ने फर्जीवाड़ा किया है। बैक डेट में संबद्धता देकर परीक्षाएं कराई जा रही हैं।
कोर्ट ने लगाई रोक
अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी व मेडिकल यूनिवर्सिटी की ओर से तर्क दिया गया कि छात्र आंदोलनों की वजह से परीक्षा कराने का फैसला लेना पड़ा। लंबे समय बाद परीक्षाएं हो रही हैं, भले ही परीक्षा कराने के बाद रिजल्ट न्यायालय के आदेश के अधीन कर दिया जाए। यूनिवर्सिटी का काम संबद्धता व परीक्षा कराने का है। विद्यार्थी ने पढ़ाई की या नहीं, यह देखना उसका काम नहीं है। कोर्ट इन सभी तर्कों को देखने के बाद परीक्षा पर रोक लगा दी। ज्ञात है कि इस परीक्षा में करीब 20 हजार से अधिक छात्र बैठने वाले थे। यूनिवर्सिटी ने 100 से अधिक कालेजों को बैक डेट में संबंद्धता दी है।
फर्जीवाड़े का तीसरा मामला
मेडिकल यूनिवर्सिटी में नर्सिंग कालेजों के साथ किए जा रहे फर्जीवाड़े का तीसरा मामला सामने आया है। इससे पहले 35 कालेजों की परीक्षा का मामला आया था, जिसकी हाई कोर्ट ने सीबीआइ जांच कराई है। उमेश कुमार बोहर ने भी बीएससी नर्सिंग की परीक्षा को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने इस जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए परीक्षाएं पर रोक लगाई। कोर्ट के आदेश के बाद परीक्षा स्थगित करनी पड़ी। यूनिवर्सिटी को बतना है कि जिन विद्यार्थियों की परीक्षा स्थगित की है, उन विद्यार्थियों का क्या होगा।
Posted By: Shailendra Kumar
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