Publish Date: | Mon, 06 Mar 2023 12:51 PM (IST)
Gwalior News: ग्वालियर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। प्रज्ञा प्रवाह मध्यभारत प्रांत की संगोष्ठी रविवार को “मेरी दृष्टि में भारत की अर्थव्यवस्था एवं वैश्विक परिदृश्यज् विषय पर डा.भीमराव आंबेडकर पालीटेक्निक महाविद्यालय में आयोजित की गई। जिसमें वक्ताओं ने कहा कि भारत का अपना आर्थिक माडल होना चाहिए। अर्थव्यवस्था का फोकस उद्यमिता आधारित होना चाहिए। स्वावलंबन पर जोर देने के लिए कौशल विकास को अधिक बढ़ावा दिया जाना चाहिए। स्वदेशी उत्पादन एवं सहकारिता पर विशेष जोर दिए जाने की जरूरत है। इससे हम मनुष्य का जीवन स्तर उठाकर उसे खुशहाल बना सकते हैं। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता चार्टर्ड अकाउंटेंट अरुण डागा थे। अध्यक्षता लेखिका डा. नीलम महिंद्रा ने की।
संगोष्ठी के प्रथम वक्ता के रूप में जीवाजी विश्वविद्यालय के प्राध्यापक एवं स्वदेशी जागरण मंच के हरेंद्र शर्मा ने बताया कि प्राचीन भारत की अर्थव्यवस्था बेहद सुदृढ़ थी। 200 वर्षों के औपनिवेशिक काल में अंग्रेजों ने हमारी सुदृढ़ अर्थव्यवस्था को लूट के जरिए एवं स्थानीय उद्योगों को नष्ट कर कमजोर किया। भारत का मूल अर्थतंत्र उत्तम खेती, मध्यम व्यापार, अधम चाकरी के सूत्र पर आधारित रहा है।
विश्व का भारत के प्रति विश्वास बढ़ा
मुख्य वक्ता अरुण डागा ने बताया कि किस तरह अन्य देशों का निवेश भारत में बढ़ रहा है। जिससे देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हो रही है। उन्होंने विभिन्न आयामों में भारतीय अर्थव्यवस्था के बेहतर प्रदर्शन से संबंधित आंकड़े प्रस्तुत किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं डा.नीलम महिंद्रा ने देश की युवा आबादी को बौद्धिक संपदा में परिवर्तित कर भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने बताया कि औपनिवेशिक काल के दौरान अर्थव्यवस्था में स्व का भाव नहीं था और उन्होंने नवीन आर्थिक नीतियों में स्व के भाव को ध्यान में रखने का सुझाव दिया। प्रज्ञा प्रवाह मध्यभारत प्रांत के पूर्व सह संयोजक राजकिशोर वाजपेयी ने बताया कि जीडीपी के वर्तमान मापदंड भारतीय समाज व्यवस्था के अनुरूप नहीं हैं। घरेलू महिलाओं के श्रम एवं कार्य का जीडीपी में कोई मूल्यांकन नहीं है। उन्होंने भारतीय समाज व्यवस्था के अनुरूप नवीन मापदंड तैयार किए जाने पर विचार व्यक्त किए एवं स्थानीय उत्पादों के अधिक उपयोग से स्व को प्राप्त करने का सुझाव दिया। कार्यक्रम में माधव विधि महाविद्यालय की प्राचार्य डा. नीति पांडेय, ग्राहक पंचायत के भागवत एवं प्रज्ञा प्रवाह युवा आयाम के सौरभ श्रीवास्तव ने भी अपने विचार रखे।
Posted By: anil tomar
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