Publish Date: | Mon, 27 Feb 2023 09:54 AM (IST)
Indore News: इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। यह एक अविस्मरणीय पल, जिसमें मोक्ष की कामना लिए आत्मसाक्षात्कार के प्रयास का भाव भी निहित था तो उसके साथ ही परस्पर प्रेम और निर्मल मन से सबके प्रति क्षमाभाव रखते हुए आनंद की अनुभूति भी निहित थी। समभाव ऐसा कि क्या देश और क्या विदेश सब एक ही रंग में रंग गए। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण रविवार रात अभय प्रशाल में नजर आया, जहां 21 देश के 52 कलाकारों ने जीवन को सहज बनाने की धारा में समर्पण भाव लिए हुए योगधारा बहाई।
यूक्रेन में छिड़े युद्ध की विभीषिका भी अगर कलाकार के मन पर नकारात्मक प्रभाव नहीं डाल सकी तो दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी का महाप्रकोप भी योग से पीछे हटने के बजाए उसके और भी करीब ले आया। इंदौर में सहजयोग द्वारा जो योगधारा कार्यक्रम आयोजित किया गया, उसमें दुनियाभर के कलाकारों ने समवेत स्वर में सुर छेड़ते हुए जो आत्मसाक्षात्कार की अनुभूति कराने में मदद की, उसका अनुभव करने हजारों अनुयायी वहां पहुंचे। कार्यक्रम में माता निर्मलादेवी के वीडियो दिखाकर कराया आत्मसाक्षात्कार कराने का प्रयास भी किया गया।
एक मंच पर आए कई कलाकार
सहजयोग की संस्थापिका माता निर्मला देवी के जन्मशताब्दी महोत्सव वर्ष के अवसर पर सहजयोग परिवार द्वारा आयोजित ‘योगधारा’ कार्यक्रम में अमेरिका, इंग्लैंड, रशिया, न्यूजीलैंड, इटली, जर्मनी, चेक रिपब्लिक, ताइवान, फ्रांस, नीदरलैंड्स, आस्ट्रेलिया, आस्टि्या, रोमानिया, स्विट्जरलैंड सहित 21 देशों के 52 सहजयोगी कलाकार प्रस्तुति दे रहे थे। एक ही मंच पर अगर रशिया की आन्या मुख्य गायिका के रूप में सुर छेड़ रही थी तो यूक्रेन से आए सागी पुचकोव तबले पर संगत कर रहे थे। बांसुरी की धुन बेनिन के जय छेड़ रहे थे तो सेक्सोफोन पर चेक रिपब्लिक के एलेवा और संतूर पर आस्टि्या की इफजेनिया साथ दे रही थी।
इंदौर के कलाकारों ने की शुरुआत
शुरुआत इंदौर की कलाकारों ने भरतनाट्यम नृत्य प्रस्तुत कर की। वरदा कला संस्थान की 17 शिष्याओं ने ईश वंदना की। जर्मनी से आई शालिनी और संजीवनी (केरोलिन) ने शुद्ध कथक किया। भारतीय पारंपरिक परिधान पहने ये कलाकार से भारत के रंग में न केवल खुद रंगे बल्कि अपने रंग में वहां मौजूद सभी को रंग गए। होली का उल्लास भी शामिल था तो दमादम मस्त कलंदर का जोश झूमने पर विवश कर रहा था। आयोजन में न जातपात की बेड़ियां थी और ना ही अमीरी-गरीबी का भेद। था तो केवल कुंडली को जागृत करने की मंशा। इस आयोजन में सांसद शंकर लालवानी, सुनीता दिनेश सोनगरा और गोलू शुक्ला विशेष रूप से उपस्थित थे।
यह है सहजयोग
सहजयोग एक ध्यान की क्रिया है। इसे माता निर्मला देवी ने 5 मई 1970 से आरंभ किया था। सहजयोग से कुंडलिनी जागरण व आत्मसाक्षात्कार की अनुभूति की जा सकती है। कुंडलिनी जागरण के जरिये मानव शांति का अनुभव करता है। मानव विचार शून्य हो जाता है और अपने भीतर के विकारों से वह मुक्ति पाता है। माता निर्मला देवी ने योग के साथ भारतीय कला को भी समाहित कर उसके जरिये ईश्वरीय अनुभूति का मार्ग लोगों को दिखाया।
Posted By: Hemraj Yadav
Source link
Recent Comments