Publish Date: | Mon, 27 Feb 2023 12:28 PM (IST)
Indore News: इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। देश एवं समाज की पहचान लोगों के आचरण, संस्कृति एवं परंपरा से होती है। भारत का चिंतन प्रारंभ से ही वैश्विक रहा है। हम ‘सर्वे भवंतु सुखिनः’ का भाव रखते हैं। चिकित्सा का मूल व्यवसाय न होकर सेवा है। स्वास्थ्य सबका अधिकार है, किंतु खर्चीली स्वास्थ्य सेवाओं का व्यय न दे पाने के कारण कुछ लोग दुख भोगते हैं तो हम स्वास्थ्य क्षेत्र में लगे कार्यकर्ताओं के लिए यह विचारणीय हो। स्वास्थ्य सेवा सस्ती और गुणवत्तापूर्ण होनी चाहिए।
यह बात श्री गुरुजी सेवा न्यास के तत्वावधान में एमरल्ड हाइट्स इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित सुसंस्कारित स्वास्थ्य सेवा की राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन सत्र के दौरान रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सर कार्यवाह भय्याजी जोशी ने कही। उन्होंने कहा कि इस समय शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। विश्वास ही व्यक्ति को कार्य करने के लिए बल प्रदान करता है। भारत में सभी चिकित्सा पद्धतियां सर्व समावेशी हों। शिक्षा में स्वास्थ्य जागरूकता का समावेश होना चाहिए। अंत में जोशी ने सभी चिकित्सकों को ज्ञानयोग, राजयोग, कर्मयोग व भक्तियोग के भाव के साथ अपने कार्य के प्रति समर्पित बनने का संकल्प दिलाया।
खानपान और व्यायाम पर ध्यान देना जरूरी
डा. नागरत्ना ने स्वस्थ जीवनशैली पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि खानपान, व्यायाम, तनाव पर ध्यान देना आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है। इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य सुहास हिरेमठ, डा. जयंतीभाई भाड़ेसिया, मालवा प्रांत के संघचालक प्रकाश शास्त्री, श्री गुरुजी सेवा न्यास के मुकेश मोड, डा. मंजुषा कुलकर्णी, अभय माटे आदि मौजूद थे।
Posted By: Hemraj Yadav
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