Intelligent Ventilator इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। वेंटीलेटर पर रहने के दौरान मरीज हिम्मत हार जाता है। उसे ऐसा लगने लगता है कि वह अंतिम दौर से गुजर रहा है, लेकिन अब उसे हिम्मत देने के लिए नई तकनीक आ चुकी है। यह एक ऐसी मशीन है जो मरीजों के भाव को समझती है। साथ ही उन्हें आत्मविश्वास भी देती है। अब आधुनिक तकनीक से वेंटीलेटर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल हो रहा है। इससे यह मशीन न सिर्फ मरीज की आक्सीजन जरूरत का ध्यान रखेगी, बल्कि मरीज को आत्मविश्वास भी देगी।
साथ ही मरीज की लंबाई, वजन और लिंग की जानकारी मशीन को देने के बाद वह स्वयं ही मरीज की जरूरतों को समझने लग जाती है। मरीज को कितनी मात्रा में आक्सीजन देना है, यह भी मशीन ही तय कर देती है। यह जानकारी आक्सीजन हाई एंड वेंटीलेटर विथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीन के बारे में डाक्टरों ने बुधवार को ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में इंडियन सोसायटी आफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन की 29 वीं वार्षिक कार्यशाला के दौरान दी।
आत्मविश्वास भी देती है: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मरीजों को यह महसूस करवाता है कि उन्हें कोई कह रहा है कि तुम ठीक हो जाओगे
कार्यशाला में डा. प्रदीप भट्टाचार्य और डा. राजेश पांडे ने बताया कि यह नई तकनीक है। इसमें एडवांस मोड एडाप्टिव सपोर्ट वेंटीलेशन, प्रपोशनल असिस्ट और न्यूरली एडजस्टेट वेंटीलेटरी असिस्ट(नावा) है। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक है। इसमें मरीज को क्या चाहिए यह पता कर लेती है। यह भी बता देती है कि सांस फूल रही है। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की मदद से मशीन यह आश्वासन देती है कि तुम यह कर सकते हो।
सपोर्ट इस तरह से होता है कि मरीज का आत्मविश्वास बढ़ जाता है। कई बार 10-12 दिन रखने के बाद मरीजों को बाहर निकालना कठिन काम होता है, क्योंकि मरीजों को यह लगने लगता है कि बिना मशीन के जिंदा नहीं रहूंगा। ऐसे में यह मोड सहारा देते हुए आश्वासन देकर बाहर निकालने में मदद करते हैं। मरीजों को महसूस करवाते हैं कि उन्हें कोई कह रहा है कि तुम ठीक हो जाओगे।
खास बातें
14 सत्र हुए कार्यशाला में
600 लोगों को दी हैंड्स आन ट्रेनिंग
750 डाक्टर और विशेषज्ञ पहुंचे कार्यशाला में
– 20 देशों के डाक्टर हुए शामिल।
– मशीनों द्वारा दी गई ट्रेनिंग।
डाक्टर्स, नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ ने ली ट्रेनिंग
आर्गनाइजिंग चेयरमैन और आइएससीसीएम के अध्यक्ष डा. राजेश मिश्रा ने बताया कि विभिन्न डायलिसिस और उनके एडवांसमेंट को लेकर भी कार्यशाला की गई है। एक्मो, एडवांस वेंटीलेटर जैसी तकनीकों की लाइव ट्रेनिंग हुई। कई गंभीर विषयों पर पैनल डिस्कशन भी हुआ। आर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डा. राजेश पांडे ने बताया वर्कशाप में एडवांस वेंटीलेटर को आपरेट करने के साथ ही उनकी सेटिंग्स को सिखाया गया। यह कार्यशाला आईसीयू में काम करने वाले डाक्टर्स, नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ के लिए आयोजित की गई है।
गर्भवती महिलाओं के मृत्यु दर को कम करने की दी ट्रेनिंग
इंडियन सोसाइटी आफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन के वाइस प्रेसिडेंट और हैदराबाद के डा. श्रीनिवास सामवेदम ने बताया कि आब्स्टेट्रिक कार्यशाला में गर्भवती महिलाओं की मृत्यु दर को कम करने के लिए डाक्टरों को ट्रेनिंग दी गई। इसमें गर्भवती महिला को हार्ट अटैक आने पर क्या करना है या अतिरिक्त रक्तस्राव को कैसे कंट्रोल करना है, जैसे विषयों के बारे में बताया गया। महिला की किसी कारण मृत्यु हो जाती है तो चार मिनट में बच्चे को पेट से निकालने की ट्रेनिंग दी गई।
बच्चे का पूरा सिस्टम मां के ब्लड सर्कुलेशन से जुड़ा होता है और मां की मृत्यु के बाद बच्चे को सही समय में बचाना जरूरी होता है। को-आर्गेनाइजिंग चेयरमैन डा. संजय धानुका ने बताया कि कार्यशाला में सिम्युलेटर (मानव शरीर की हूबहू डमी) रखे गए थे, जिस पर हैंड आन प्रैक्टिस करके विशेषज्ञों द्वारा बताई गई जानकारी का प्रैक्टिकल सभी ने करके देखा और सीखा। इन सिम्युलेटर को इस प्रकार से बनाया जाता है कि यह प्रोसिजर और ट्रेनिंग के दौरान मानव शरीर की तरह ही रिएक्ट करते हैं।
Posted By: Sameer Deshpande
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