Publish Date: | Sun, 26 Mar 2023 04:34 PM (IST)
Jabalpur Crime : जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। किसी सहायक यंत्री को सैद्धांतिक तौर पर जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी का प्रभार नहीं दिया जा सकता। लेकिन पनागर जनपद में ऐसा हुआ है। यहां एक सहायक यंत्री को न केवल जनपद सीईओ का प्रभाार दिया गया, बल्कि उसे वित्तीय अधिकार भी दे दिए गए। इस तरह से वो प्रभारी के रूप में प्रशासनिक स्वीकृति, तकनीकि स्वीकृति तो दे ही सकता है, साथ ही कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र भी वही जारी करेगा। इसके बाद मिले वित्तीय अधिकार से वो राशी भी जारी कर सकता है।
आम तौर पर तकनीकि स्वीकृति टेक्निकल-विंग देखती है और प्रशासनिक स्वीकृति का काम संस्था प्रमुख के पास रहता है। संस्था प्रमुख ही किसी भी निर्माण कार्य का पूर्णता प्रमाणपत्र (सीसी) जारी करता है। इसक बाद नियमानुसार भुगतान की प्रक्रिया पूर्ण होती है। पनागर जनपद के वर्तमान सीईओ गजेंद्र जैन 31 मार्च को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनकी सेवानिवृत्ति को करीब सप्ताह भर का समय है, लेकिन उनके स्थान पर अभी से प्रभारी सीईओ का नाम तय कर दिया गया है। सहायक यंत्री आकाश सूत्रधार को यह प्रभार सौंपा गया है। यह आदेश जिला पंचायत सीइओ डा. सलोनी सिडाना के हस्ताक्षर से जारी किया गया। इस आदेश में एक लाइन यह भी लिखी है कि ‘कलेक्टर महोदय द्वारा आदेशित’।
जानकारों का कहना है कि इस तरह से प्रभार दिए जाने का मामला एक तरह का प्रशासनिक अजूबा है। जिसमें कोई अधिकारी खुद टीएस, एसएस करने के बाद सीसी जारी कर सकता है और मूल्यांकन करने के बाद नियमानुसार भुगतान के आदेश भी खुद ही दे सकता है। इस व्यवस्था में कार्य की समानांतर मानीटरिंग की गुंजाइश समाप्त कर दी गई।
प्रशासनिक अनुभव बहुत कम
जिस सहायक यंत्री को सीईओ का प्रभार सौंपा है उनका प्रशासनिक अनुभव नगण्य है। उनका सेवाकाल ही मात्र दो वर्ष का है। सारे जनपद सदस्य एवं अध्यक्ष नए हैं। प्रभारी सीईओ विशुद्ध तकनीकी जानकार हैं, ऐसे में आये दिन मार्गदर्शन मांगने के नाम पर पत्राचार होगा एवं कार्यो मे अनावश्यक विलम्ब होगा।
आमतौर पर ऐसा होता रहा है
इससे पहले भी जनपदों पर नए अधिकारी की पदस्थापना तक प्रभार दिए जाते रहे हैं, लेकिन वो दायित्व किसी अन्य जनपद के सीईओ को अतिरिक्त प्रभार के रूप में दिए जाते रहे। इसके अलावा सीइओ के समकक्ष किसी अधिकारी को भी प्रभार दिया जाता रहा है, लेकिन सहायक यंत्री स्तर के अधिकारी को प्रभार दिया जाना अपनी तरह का पहला मामला है।
एसीइओ का कहना है-
इस मामले में बात करने जिला पंचायत सीईओ डा. सिलोनी सिडाना को काल किया गया तो उनका फोन बंद रहा। हालांकि एसीइओ मनाेज सिंह का कहना रहा कि किसी भी ऐसे द्वितीय श्रेणी राजपत्रित अधिकारी को प्रभार देने का नियम है, जिसे डीडीओ पावर हो। इसी आधार पर सहायक यंत्री को प्रभार दिया गया है।
Posted By: Dheeraj Bajpaih
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