Kuno Palpur National Park: श्योपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि। भारत में लगभग सत्तर साल बाद चीतों की बसाने के लिए शुरू किए गए प्रोजेक्ट को बड़ा झटका लगा है। 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से लाए गए आठ चीतों में से एक मादा चीता साशा की कूनो नेशनल पार्क में मौत हो गई है। प्रोजेक्ट के लिए सबसे अहम चीतों को नए माहौल में स्वस्थ रखने के लिए पार्क प्रबंधन से लेकर भारत और दक्षिणी अफ्रीकी विशेषज्ञ पिछले छह माह से पूरी सतर्कता बरत रहे थे। ऐसे में चीता की मौत से प्रोजेक्ट पर निगाहें लगाए पर्यटकों में भी शोक की लहर दौड़ गई है। लगातार समय बीतने और चार चीतों को खुले जंगल में छोड़े जाने के बाद अब वन्य जीव प्रेमी और पर्यटक उनके दीदार की ही इंतजार कर रहे थे कि ये दुखद खबर आ गई।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कूनो नेशनल पार्क में बने बाड़ों में छोड़ा था
नामीबियाई चीतों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कूनो नेशनल पार्क में बने बाड़ों में छोड़ा था। इनमें से चार चीते इस समय खुले जंगल में छोड़े गए हैं। बाड़े में रखे गए चार चीतों में से साशा की किडनी की बीमारी के चलते सोमवार सुबह मौत हो गई। 19 जनवरी को सबसे पहले साशा को डिहाइड्रेशन और किडनी में इंफेक्शन की शिकायत हुई थी, तभी से भारत और दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञों की निगरानी में उसका इलाज चल रहा था। कूनो नेशनल पार्क में लाए गए आठ चीतों को लेकर पूरी सतर्कता बरती जा रही थी, यही कारण है कि इन्हें काफी समय क्वारंटाइन बाड़े में रखा गया।
बाद में खुले जंगल में छोड़ा
बाद में बड़े बाड़े में रखने के बाद पूरी तैयारी के बाद ही खुले जंगल में छोड़ा गया। हालाकि कूनो नेशनल पार्क प्रबंधन नामीबिया से लाए गए चीतों के पूरी तरह स्वस्थ होने का दावा करता रहा है, परंतु सबसे पहले 19 जनवरी के साढ़े चार वर्ष की मादा चीता साशा के बीमार होने के जानकारी सामने आई। डिहाइड्रेशन और किडनी इंफेक्शन के चलते छह दिन तक मादा चीता ने खाना तक छोड़ दिया था। पार्क प्रबंधन के अनुसार दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञ चिकित्सकों के इलाज के बाद उसके स्वास्थ्य में सुधार था।
11 मार्च को प्रोजेक्ट के तहत तय प्रक्रिया के अनुसार दो चीते ओबान और आशा चीता को बड़े बाड़े से खुले जंगल में छोड़ा गया वहीं 23 मार्च को फ्रेडी-आल्टन को भी छोड़ दिया गया। शेष 4 चीते और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 12 चीते अभी अलग-अलग बाड़े में रखे गए थे। इनमें नामीबियाई चीते साशा की मौत हुई है। वन विहार भोपाल के डॉ अतुल गुप्ता की अगुवाई में डॉक्टरों की टीम बचाने में जुटी हुई थी।
मौत का कारण किडनी फेल होना बताया गया है। हालाकि आधिकारिक तौर पर अभी कुछ भी स्पष्ट कहने से बच रहे हैं क्योंकि नामीबिया से लाने से पहले कई दिनों तक इन सभी को क्वारंटाइन रखा गया था। इस दौरान इनका स्वास्थ्य परीक्षण भी हुआ था। पीसीसीएफ रमेश के गुप्ता ने साशा की मौत की पुष्टि करते हुए केवल इतना बताया कि वह जनवरी में बीमारी सामने आने के बाद से ही उसका उपचार चल रहा था, परंतु उसे बचाया नहीं जा सका।
A female Cheetah ‘Shasha’ brought from Namibia to MP’s Kuno National Park on December 22, has died. It was found that cheetah Shasha was suffering from a kidney infection before she was brought to India. pic.twitter.com/2VtAvchrNL
— ANI (@ANI) March 27, 2023
मादा चीता की मृत्यु पर सेवानिवृत्त सीसीएफ सीएस निनामा ने कहा
नामीबिया से चीतों को लाने के समय परियोजना के सीसीएफ रहे सीएस निनामा ने नईदुनिया से चर्चा में कहा कि हमारे प्रोजेक्ट में पहले से ही यह विदित था कि चीतों की मार्टेलिटी रेट (मृत्यु दर) 50 प्रतिशत रहेगी। ऐसे में एक चीते की मौत स्वभाविक घटना है और इसका अनुमान हमें पहले से ही था कि इतनी कैजुअलिटी तो होगी ही। हमें यह बड़ी घटना लग रही है, क्योंकि हमारे देश में चीतों को बाहर से लाया गया है, अन्यथा इस तरह से जानवरों की मौत होती है। निनामा ने कहा कि यह भी देखना चाहिए कि कूनो का वातावरण चीतों के लिए नया है और खुले जंगल में छोड़े जाने के बाद वे नई जगह पर दौड़ रहे हैं। जब नामीबिया से चीते लेकर आए थे तो उनका पूरा परीक्षण किया गया था। संभवत: बाद में उसे किसी कारण से बीमारी हुई होगी। चीतों को रहने के लिए मुख्य रूप से सही वातावरण, पर्याप्त पानी और भोजन की उपलब्धता चाहिए। कूनो में करीब चार से पांच साल के शोध के बाद इसे चीतों के लिए अनुकूल पाया गया था। हर वक्त चीते सतत निगरानी में हैं। ऐसे में किसी तरह की लापरवाही की आशंका भी नहीं है। सीएस निनामा ने कहा कि अभी मौत के कारणों की विस्तृत जानकारी गहन परीक्षण के बाद ही सामने आ सकेगी।
पोस्टमार्टम के बाद हुआ अंतिम संस्कार
मृत मादा चीता साशा का सोमवार को ही पोस्टमार्टम के बाद देर शाम अंतिम संस्कार कर दिया गया। कूनो प्रबंधन मौत का कारण किडनी फेल होना बता चुका है, पर पोस्टमार्टम की विस्तृत रिपोर्ट विशेषज्ञों द्वारा जारी की जाएगी। बताया जाता है कि साशा ने सुबह नौ बजे ही दम तोड़ दिया था। इसकी सूचना निगरानी दल ने कूनो प्रबंधन और विशेषज्ञों को दी। पशु डाक्टरों की टीम ने साशा के शव को बाड़े से निकाला और विशेषज्ञों की निगरानी में पोस्टमार्टम किया गया।
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