Kuno Palpur National Park: श्योपुर . नईदुनिया प्रतिनिधि। नामीबिया से कूनो लाने से पहले ही साशा को गुर्दे की बीमारी थी। उस समय हुए स्वास्थय परीक्षण में जब खून की जांच की गई थी, तभी उसके खून में क्रियेटिनिन का स्तर 400 से अधिक था। भोपाल से वन विहार राष्ट्रीय उद्यान द्वारा जारी किए गए बयान में भी यह बात कही गई है।
मानीटरिंग में सुस्त सामने आई साशा
बयान के अनुसार 22 जनवरी को मादा चीता साशा को मानिटरिंग दल ने सुस्त पाया था। तीन पशु चिकित्सकों ने स्वास्थ्य परीक्षण के बाद उसके गहन उपचार की आवश्यकता बताई थी, इसलिए उसी दिन उसे क्वारेंटाइन बाड़े में लाया गया। वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में स्थित लैब में अत्याधुनिक मशीनों से किए गए खून के परीक्षण से गुर्दों में संक्रमण की जानकारी सामने आई। तत्काल वन विहार राष्ट्रीय उद्यान, भोपाल से वन्यप्राणी चिकित्सक एवं एक अन्य विशेषज्ञ चिकित्सक को पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन के साथ कूनो राष्ट्रीय उद्यान भेजा गया। गुर्दों की बीमारी सामने आने के बाद भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिकों तथा कूनो राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन द्वारा चीता कंजर्वेशन फाउंडेशन, नामीबिया से साशा की ट्रीटमेंट हिस्ट्री प्राप्त की गई जिससे पता चला कि 15 अगस्त 2022 को नामीबिया में किये गये अंतिम खून के नमूने की जांच में भी क्रियेटिनिन का स्तर 400 से अधिक पाया गया था, यानि गुर्दे की बीमारी भारत में आने के पहले से ही थी । कूनो राष्ट्रीय उद्यान में पदस्थ सभी वन्यप्राणी चिकित्सकों तथा नामीबियाई विशेषज्ञ डॉ. इलाई वाकर द्वारा साशा का उपचार किया गया। चीता कंजर्वेशन फाउंडेशन, नामीबिया तथा प्रिटोरिया विश्व विद्यालय, दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञ डॉ. एड्रियन टोर्डिफ से लगातार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग एवं दूरभाष के माध्यम से संपर्क में रहे। 18 फरवरी को 2023 को दक्षिण अफ्रीका से लाये गये 12 चीतों के साथ कूनों राष्ट्रीय उद्यान आए वेटरिनरी विशेषज्ञों डॉ. लारी मार्कर, डा. एड्रियन टोर्डिफ, डा. एन्डी फेजर, डा. माइक तथा फिन्डा गेंम रिजर्व के वरिष्ठ प्रबंधक से भी साशा के स्वास्थ्य को लेकर चर्चा की गई थी। तमाम उपचार के बावजूद साशा ने सोमवार को दम तोड़ दिया।
Posted By: anil tomar
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