Publish Date: | Mon, 27 Mar 2023 11:06 AM (IST)
Theater craze: विक्रम सिंह तोमर.ग्वालियर। कहते हैं जिदगी एक रंगमंच है, जहां कोई रीटेक नहीं होता। जो भी है, जैसा भी है, यहां सब लाइव चलता है। यहां हर किसी का अपना अलग किरदार होता है। इस कला से लोगों को जोड़ने के लिए प्रतिवर्ष 27 मार्च को विश्व रंगमंच दिवस मनाया है। इस रंगमंच का रंग अब ग्वालियर पर भी छाने लगा है। बात चाहे अभिनय करने की हो या फिर दर्शक बनकर इसका आनंद लेने की, शहर में लोग लगातार थियेटर प्ले की तरफ बढ़ रहे हैं।
ग्वालियर शहर में युवा तो थियेटर और अभिनय में अपना दमखम दिखा ही रहे हैं, लेकिन शहर में कई शौकीन ऐसे भी हैं जो अपने काम और व्यापार से वक्त निकाल कर अपना थियेटर का शौक पूरा कर रहे हैं। आज ऐसे ही तीन कलाकारों से आपको मिला रहे हैं जिन्होंने थियेटर के क्षेत्र में मिसाल कायम की है। इनमें थियेटर को लेकर इतनी दीवानगी है कि रुपये और शोहरत को भी आड़े नहीं आने दिया। किसी ने सीरियल और फिल्मों में नाम कमा कर फिर थियेटर का रुख कर लिया तो किसी ने नौकरी के साथ-साथ थियेटर किया। कुछ ने थियेटर पर अभिनय करने के लिए नौकरी से सेवानिवृत्ति ले ली। एक नजर डालते हैं इन तीन कलाकारों की कहानियों पर..
जगताप ने नौकरी छोड़कर चुना रंगमंच
शहर के रविंद्र आनंदराव जगताप एक बैंक में सीनियर मैनेजर की पोस्ट पर पदस्थ थे। कई वर्षों से थियेटर करने वाले रविंद्र पर जब काम की जिम्मेदारी बढ़ने लगी तो वह थियेटर को कम समय दे पा रहे थे। नईदुनिया से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि एक रोज उन्हें लगा कि वह थियेटर से कहीं न कहीं दूर हो रहे हैं, तब बिना कुछ सोचे वर्ष 2019 में नौकरी से वालेंट्री रिटायरमेंट लेकर फिर से रंगमंच को चुन लिया। अब अपना पूरा समय सिर्फ थियेटर को देते हैं।
अशोक ने 46 साल नौकरी के साथ किया नाटक
शहर के अशोक सेंगर पेशे से शिक्षक फिर प्राचार्य रहे, कुछ ही समय पहले वह सेवानिवृत्त हुए हैं। वह बताते हैं कि उनको थियेटर में अभिनय करने का इतना जुनून था कि नौकरी के 46 वर्षों तक वह दिन में शिक्षण कार्य करते थे और शाम को सात से 10 बजे तक थियेटर करते थे। उन्होंने बताया कि शहर के कई युवा भी थियेटर की ओर रुख कर रहे हैं। ऐसे में सभी की जिम्मेदारी है कि इन युवाओं को बेहतर मौके दिए जाएं।
राजेश बोले- थियेटर का साथ कभी नहीं छोडूंगा
बालीवुड की अभिसार, सन्यासी मेरा नाम, जैसी फिल्में और शक्तिमान, खुल जा सिम सिम जैसे लोकप्रिय धारावाहिकों में शहर के राजेश पाल अभनिय कर चुके हैं। राजेश बताते हैं कि उन्होंने अभिनय का सफर थियेटर से शुरू किया था। इसके बाद दिल्ली-मुंबई में काफी काम किया। बीच में काफी व्यस्त रहने के कारण वह थियेटर को अधिक समय नहीं दे पा रहे थे। कोरोना काल के बाद उन्होंने फिर थियेटर शुरू किया। उनका कहना है कि थियेटर मेरा आधार है, यह तब से मेरे साथ है, जब मैं कुछ नहीं था, इसिलए थियेटर कभी नहीं छोडूंगा। उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शहर में धीरे-धीरे थियेटर का दौर लौटकर आ रहा है।
Posted By: anil tomar
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