जोधपुरएक घंटा पहलेलेखक: अरविंद सिंह
जोधपुर शहर…अपनी मीठी बोली…अपणायत और यहां के लजीज व्यंजनों से जाना जाता है। इन सब के बीच यहां की एक और खासियत है, होली पर गाई जाने वाली गालियां। सुनकर हैरानी होगी लेकिन, यहां होली की इससे शुरुआत होती है। इन गालियों को भी बॉलीवुड के सॉन्ग पर बनाया जाता है।
होली की शाम से इसकी रंगत शुरू हो जाती है। इस बार तो पहली बार इस अश्लील गायन में महिलाएं भी मैदान में उतरेंगी।
ये परंपरा करीब 500 साल से ज्यादा पुरानी है। इसका इतना क्रेज है कि शहर के मोहल्लों में अलग-अलग टीमें बनती हैं। इन गालियों को सुनने के लिए मोहल्लों में भीड़ लगती है और इसकी तैयारियां 10 दिन पहले से शुरू हो जाती हैं।
मंदिरों में होने वाले फाग उत्सव कार्यक्रमों में महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ती है।
शादी के गानों से हुई थी शुरुआत
वैसे तो इन गालियों को गाने की शुरुआत 536 साल पहले शादी-ब्याह के समय गाए जाने वाले गीतों से हुई थी। उस समय परिवारों और समाज के लोगों के बीच आपसी संबंधों को दिखाने के लिए इस परंपरा शुरू की गई थी लेकिन, 300 साल पहले ये सबसे ज्यादा प्रचलन में आई।

इस अनूठे कार्यक्रम को देखने के लिए देसी ही नहीं विदेशी पर्यटक भी जोधपुर आते हैं।
वरिष्ठ संगीतकार गुरु गोविंद कल्ला बताते हैं कि आज से लगभग 300 साल पहले जोधपुर के महाराजा मानसिंह ने अपनी बेटी की सगाई उदयपुर राजघराने में की थी। उस समय बेटी के ससुराल वालों ने एक शर्त रखी थी। उन्होंने कहा कि बारात के जोधपुर आने पर उनका स्वागत आप खुद अश्लील गालियां गाकर करेंगे। राजा मानसिंह ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।
इधर, बारात के आने में कुछ ही दिन बाकी थे लेकिन, महाराजा मानसिंह अश्लील गायन के बोल नहीं लिख पाए। उन्हें इन गालियों को ढूंढते बहुत समय लग गया। यहां तक कि जिस दिन बारात आई, उस दिन तक महाराजा गालियां नहीं लिख पाए।

अश्लील गाली गायन को लेकर 10 दिन पहले से तैयारियां शुरू हो जाती हैं।
इस दौरान अचानक एक छोटी समधिन को देखा तो उन्होंने बोल लिखा- ‘ब्यायी जी रे ब्याण जी आया, खुशी हुई एक मोटी, महलों जाय देखण बैठयां आगे ब्याण छोटी … नखराली ब्याण आवे गाई।’ गुरु गोविंद कल्ला बताते हैं कि उस दिन के बाद से 14 मोहल्लों की 64 गलियों में अश्लील गायन का प्रचलन काफी बढ़ गया।

मेहरानगढ़ में लगी इस पेंटिंग में हाथी पर सवार महराजा मानसिंह नगरवासियों के साथ होली खेलते नजर आ रहे हैं।
प्रेम में भगवान को भी सुना देते हैं
बसंत पंचमी से शीतला अष्टमी तक शहर के मंदिरों में भक्ति रस की धारा बहती है। होली को लेकर फाल्गुन मास में फागोत्सव कार्यक्रम होते हैं। इस दौरान कई भक्त इन गानों में भगवान से किसी भी तरह का कोई गिला-शिकवा होता है तो वे भी सुना देते हैं।
खासतौर पर महिलाएं इन गीतों को गाती हैं। इसे होरिया भी कहते हैं। इसमें एक जैसे ही ड्रेस कोड में नाचती-गाती महिलाएं फूल और गुलाल के साथ होली खेलती हैं। यहां ब्रज की तरह ही होरी के गीत गाए जाते हैं।

मंदिरों में होली मास की शुरुआत से ही फाग गीतों पर भगवान को रिझाने के लिए कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं।
10 दिन पहले से शुरू हो जाती है रिहर्सल
होली पर्व को लेकर शहर में अश्लील गायन को लेकर अलग अलग मोहल्लों में 10 दिन पहले से ही रिहर्सल शुरू हो जाती है। बेली फ्रैंड्स क्लब के मनोज बेली ने बताया होली के धुलेंडी के दिन शाम को जूनी मंडी में बेली फ्रेंड्स क्लब की ओर से फागोत्सव किया जाएगा। इस बार उनके क्लब में दो महिलाएं तारा पुरोहित, राखी व्यास श्लील गाली गायन करेंगी। ऐसा श्लील गाली गायन के इतिहास में पहली बार होने जा रहा है।

पहली बार इस ऐतिहासिक परंपरा में महिलाएं गाली गायन करने जा रही हैं।
फिल्मी गानों धुन पर तैयार किए गाने
गालियों की खास बात ये रहती है कि इन्हें बॉलीवुड के सॉन्ग पर तैयार किए जाते हैं। जैसे- ये गलियां ये चौबारा…यहां आना ना दोबारा गाने की तर्ज पर महिनों फागण रो माईदास जी थांरी ओलू आवे तैयार किया गया है। लैला में लैला गाने पर सगोजीसा म्हारा केड़ा है छैला, फागण रे महीने में रंगदो ला ऐड़ा सहित कई फिल्मी गानों की धुन पर यह गालियां तैयार की गई है।
धुलेंडी और शीतलाष्टमी के दिन शहर के लोगों का हुजूम इन गालियों को सुनने के लिए उमड़ता है। खास बात यह है कि यह सिर्फ परकोटे यानी जोधपुर के भीतरी में ही होता है। इस दिन सभी लोग सामूहिक रूप से होली खेलते हैं।

शहर के लोगों को होली पर्व का बेसब्री से इंतजार रहता है। खास तौर पर परकोटे में होली खेलने की पुरानी परंपरा रही है।
पूर्व सीएम भी गा चुके हैं गालियां, इस बार तीसरी पीढ़ी मैदान में
इस गायन कला को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाने का काम यहां के लोगों ने जारी रखा। इसमें शंभुदत, फौजराज, हलुजी, दाउजी, दाउलाल रामदेव, आत्माराम रामदेव, मुरलीधर, गणेश कल्ला, होलजी, दामोदरदास ने किया। इसके बाद इस विरासत को पूर्व मुख्यमंत्री राजस्थान जयनारायण व्यास ने भी संभाला और गालियां गाई थीं।
इनके बाद हरिदेव महाराज, चंद्रशेखर, गोविंद कल्ला, गिरधर कल्ला, छैल जंवरसा, मंडल दत्त बिस्सा, माईदास, चंद्र शेखर, गोपाल पुरोहित, मदन मस्ताना, मदन कल्ला, श्याम थानवी, नरेश दिनेश, महादेव मुलसा ने निभाया।
इसके साथ ही इस बार गाली गायन के अमिताभ बच्चन कहे जाने वाले माईदास थानवी के तीसरी पीढ़ी के उनके पोते भी सोहन फाग के बैनर तले श्लील गाली गायन करेंगे।
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1.25 लाख दीपों से जगमगाए पुष्कर के 52 घाट:रेतीले धोरों में कल होगी होली, डीजे की धुन पर झूमेंगे देसी-विदेशी टूरिस्ट

पुष्कर में अंतर्राष्ट्रीय होली महोत्सव के तीसरे दिन सोमवार को 52 घाटों को सवा लाख दीपों से सजाया गया। इससे पहले शाम 4 से 6.30 बजे तक ब्रह्म चौक, होली का चौक और ब्रह्म वाटिका पर चंग, डफ, कच्छी घोड़ी और गैर नृत्य किया गया। प्रसिद्ध नाथूलाल सोलंकी सरोवर के जयपुर घाट पर शाम को नगाड़ा वादन किया। इस दौरान हेलिकॉप्टर जॉय राइड की शुरुआत भी की गई।
मेला स्टेडियम से सटे रेतीले धोरों में मंगलवार को परंपरागत होली होगी। डीजे की धुन पर देसी-विदेशी टूरिस्ट झूमेंगे।
ब्रह्म घाट सतरंगी रोशनी में नहाया हुआ है। विभिन्न तरह के फूलों से घाटों को सजाया गया है। इस दौरान प्रशासनिक अधिकारी, स्कूल टीचर, सिविल डिफेंस सहित अन्य कर्मचारियों और स्थानीय लोगों ने घाटों पर दीपक जलाए। इससे पूरा पुष्कर जगमगा उठा।
ब्रह्म घाट पर महाआरती के साथ ही आतिशबाजी भी हुई। प्रसिद्ध गायक पद्मश्री हरिहरन का म्यूजिक कॉन्सर्ट मेला मैदान में देर शाम 7:30 बजे हुआ। (यहां पढ़ें पूरी खबर)
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