डीडवाना7 घंटे पहले
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डीडवाना में होली का पर्व हर्षोउल्लास के साथ मनाया जा रहा है। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम 6.38 से लेकर रात्रि 9.06 बजें तक था। सभी ने अपने अपने गली मोहल्ले में अलग अलग मुहर्त पर होलिका दहन किया गया। चंग की थाप पर होली के गीत गाते लोगो की टोली थी तो मंगल गीत गाते महिलाओं के समूह नजर आ रहे थे।
पूरे किए पीढ़ियों से चले आ रहे रिवाज
होलिका दहन के मौके पर पीढ़ियों से चली आ रही परम्परा को भी लोगो ने पूरा किया। होलिका दहन के दौरान नया धान (गेंहू की बालियां) आग पर सेंक कर खाई जाती है, कई लोगों का मानना है कि इस तरह नया धान खाने से वर्ष भर सम्पन्नता बनी रहती है। जलती होली में से बड़ खुल्या (गोबर के उपले) लेकर घर ले जाने की भी परम्परा है। माना जाता है कि इसे घर मे लाने से घर की नकारात्मक ऊर्जा का अंत होता है। कई लोग यह भी कहते है पुराने जमाने मे दियासलाई नही होती थी। चूल्हे के पास आग जलती रहे इसके लिए भी होली से आग घर पर ले जाई जाती है। लोगों का मानना है कि ऐसा करने से घर मे सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है।
यहां किया गया बड़े स्तर पर होलिका दहन
वैसे तो पूरे शहर में होलिका दहन किया गया। लेकिन कुछ स्थानों पर होलिका दहन बड़े स्तर पर किया जाता है। आड़का बास, सिंघी बास, नर्सिंग चौक, गगड़ो का चौक, नीम की गली, दीन दरवाज़ा, कोट मोहल्ला, गटानी कॉलोनी, गाढ़ा बास सहित स्थानों पर बड़े स्तर पर होलिका दहन किया गया।

चंग की थाप पर होली के गीत गाते लोगों की टोली मंगल गीत गाते हुए होलिका दहन स्थल तक पहुंची।
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