सवाई माधोपुर26 मिनट पहले
सरकारी उपेक्षा का शिकार बौंली का विजयगढ़ किला।
प्राकृतिक विरासतों का धनी नगर पालिका मुख्यालय बौंली पर्यटन की दृष्टि से काफी पिछड़ा हुआ है। वृंदावती नगर के प्राचीन नाम से पहचान रखने वाला बौली कस्बा पर्यटन विभाग की उपेक्षा के चलते पर्यटन पटल पर स्थापित नहीं हो सका है।
भौगोलिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो बौंली कस्बे के पश्चिम दिशा में ऐतिहासिक विजयगढ़ पहाड़ी है। जिस पर प्राचीन विजयगढ़ किला बौंली के गौरवपूर्ण इतिहास का बखान करता है। स्थानीय लोगों की माने तो बौली का प्राचीन किला विजयगढ़ नाम से इसलिए जाना जाता है। क्योंकि इसे कोई राजा आक्रमण कर नहीं जीता पाया। हालांकि विजयगढ़ जयपुर रियासत के अधीनस्थ शासकीय तंत्रिका का अंग था। विजयगढ़ पहाड़ी पर धीरावतों का महल स्थित है। जो खंडहर के रूप में तब्दील हो रहा है। पहाड़ी पर ही ऐतिहासिक कत्ताल शाह मलंग पीर बाबा की दरगाह है। पहाड़ी की तलहटी में आधा दर्जन प्राचीन मंदिर है। वहीं कस्बा के दक्षिण दिशा में गुप्तेश्वर गुफा मंदिर धार्मिक एवं प्राकृतिक सौंदर्य का संगम है। पूर्व दिशा में खारीला बांध स्थित है। उत्तर दिशा में मरुधरा की पहचान ऐतिहासिक रेत के टीले मौजूद है, जहां कुछ फिल्में भी शूट की गई हैं। इन सभी प्राकृतिक खूबियों के बावजूद नगर पालिका मुख्यालय बौंली पर्यटन की दृष्टि से शून्य है।
पिछले बजट में 2 करोड रुपए की लागत से बौंली के किले के जीर्णोद्धार की घोषणा हुई थी। जिसके बाद करीब एक साल पहले वन विभाग की टीम ने ऐतिहासिक विजयगढ़ किले का सर्वे भी किया गया था। जिसका माइक्रो प्लान भी तैयार किया गया था। ट्रांसपोर्टेशन की दृष्टि से विजयगढ़ पहाड़ी तक सुगम मार्ग बनाए जाने की योजना भी तैयार की गई थी। यहां विजयगढ़ पर लेपर्ड सफारी की योजना बनाई गई थी। वहीं इस पूरे मामले को लेकर बामनवास विधायक इंदिरा मीणा का कहना है कि बौंली में लवकुश वाटिका को पर्यटन के लिए विकसित किया गया है। जल्द ही बौंली किले का जीर्णोद्धार करवाया जाएगा।
फोटो/वीडीओ-आशीष मित्तल।
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