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जमीन अधिग्रहण के मुआवजे को लेकर चल रहे अवमानना मामले से इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी को मुक्त कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि अधिग्रहीत जमीन की मुआवजा राशि भूस्वामियों द्वारा लेने से इनकार करने के कारण बैंक में जमा है. अप्रयुक्त जमीन भी प्राधिकरण को लौटाने को तैयार है, इसलिए अवमानना का मामला नहीं बनता। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता प्राधिकरण के समक्ष मुआवजा बढ़ाने की मांग रख सकते हैं.
यह आदेश हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने राकेश कुमार अग्रवाल व अन्य तथा मनोरमा कुच्छल की ओर से नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ दाखिल अवमानना याचिका को खारिज करते हुए दिया। मामला नोएडा के भंगेल बेगमपुर गांव की जमीन अधिग्रहण से जुड़ा है. 1989 में अधिग्रहण की अधिसूचना जारी होने के बाद से यह मामला दशकों से अदालती विवादों में फंसा हुआ है, जिसमें कई याचिकाएं दायर की गईं और याचिकाकर्ताओं के पक्ष में उनका निपटारा किया गया।
हर बार पराजित प्राधिकारी ने तत्कालीन जिलाधिकारी से भूमि का मूल्यांकन कराया. इसमें याचिकाकर्ता मनोरमा की जमीन की कीमत एक करोड़ से अधिक आंकी गयी. याचिकाकर्ता ने उक्त राशि लेने से इनकार कर दिया। प्राधिकरण ने उक्त रकम एक राष्ट्रीयकृत बैंक में जमा करवा दी। इसके साथ ही यह शर्त भी मान ली गई है कि प्राधिकरण अप्रयुक्त जमीन को भू-स्वामियों को लौटाने को तैयार है।
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