ज्ञानवापी मस्जिद
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
पूरे ज्ञानवापी परिसर का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वे कराने की मांग के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सोमवार को जिला जज की अदालत में 26 पन्नों की आपत्ति दर्ज कराई। साथ ही केस खारिज करने की मांग की। अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की ओर से ज्ञानवापी स्थित मस्जिद को हजारों साल पुराना बताया गया और कहा गया कि वादियों ने दुर्भावना से मुस्लिम शासकों को आक्रमणकारी कहा है. यह सच्चाई से परे है।
मुगल बादशाह औरंगजेब निर्दयी नहीं था। औरंगजेब के आदेश पर वर्ष 1669 में कोई मंदिर तोड़ा नहीं गया था। अब इस मामले की सुनवाई सात जुलाई को होगी. अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के सचिव मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी की ओर से जिला जज की अदालत में दायर आपत्ति में कहा गया था कि काशी में काशी विश्वनाथ के दो मंदिरों की परिकल्पना की गई थी. न पहले था न आज। ज्ञानवापी में मिली आकृति शिवलिंग नहीं, एक फव्वारा है।
…तो मस्जिद तोड़ी जाएगी
एएसआई के सर्वे के बाद तोड़ी जाएगी मस्जिद यह है दावेदारों का मकसद इससे हमारे अहम सबूत नष्ट हो जाएंगे। एएसआई द्वारा ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण कानूनी रूप से संभव नहीं है। ज्ञानवापी परिसर के सर्वे की मांग खारिज की जाए। इसके लिए 24 बिंदुओं में जवाब दाखिल किया गया है। मस्जिद कमेटी ने हिंदू पक्ष को अपनी आपत्ति की कॉपी भी मुहैया कराई है।
इसे भी पढ़ें: एएसआई से ज्ञानवापी के सर्वे की मांग पर मस्जिद कमेटी ने दाखिल की आपत्ति, अब सुनवाई 7 जुलाई को
Source link
Recent Comments