ग्राम पंचायत भवन पोरा में पुलिस चौकी
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ग्रामीणों को सुविधा देने के लिए इन दिनों पंचायत भवन पोरा में पुलिस चौकी चल रही है। आश्चर्य की बात यह है कि पंचायत भवन में जनसेवा केन्द्रों का संचालन कर ग्रामीणों को सरकार की 243 सेवाओं का लाभ देने के निर्देश हैं, लेकिन पुलिस चौकी संचालित होने के कारण ग्रामीण इन सुविधाओं से वंचित हैं. पंचायती राज विभाग की ओर से उच्चाधिकारियों को पूरे मामले से अवगत कराया जा रहा है।
सरकार की ओर से ग्राम पंचायत में 243 सेवाओं का ऑनलाइन लाभ ग्रामीणों को उपलब्ध कराने के लिए पंचायत भवनों में जनसेवा केंद्र संचालित करने के निर्देश दिए गए हैं. सरकार द्वारा ग्रामीणों को सभी सुविधाओं का लाभ आसानी से मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए ग्राम पंचायतों में पंचायत सहायकों की नियुक्ति की। इसी क्रम में प्रखंड हसन में करीब 12 हजार की आबादी वाली ग्राम पंचायत पोरा में ग्रामीणों को सुविधाओं का लाभ दिलाने के लिए पंचायत सहायक भूपेश कुमार को तैनात किया गया.
इस पंचायत सहायक की सीएमएस संस्था के माध्यम से ई-डिस्ट्रिक्ट की आईडी भी तैयार कर ली गई है। आईडी बनने के बाद भी आईडी के काम नहीं करने की सूचना पंचायती राज विभाग को मिली थी। मामले की जांच व ग्राम पंचायत के मौके पर निरीक्षण के बाद चौंकाने वाली स्थिति सामने आई। यानी ग्राम पंचायत में ग्रामीणों की सुविधा के लिए बनाए गए पंचायत भवन में पुलिस चौकी चलाई जा रही है. पुलिस कर्मियों ने इसी भवन के कमरे में अपना आवास बना लिया है। इससे ग्रामीणों को सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
पंचायत भवन में जनसेवा केंद्र के माध्यम से ग्रामीणों को ऑनलाइन सुविधा का लाभ मिल सकता है, लेकिन यहां पंचायत भवन में पुलिस चौकी होने के कारण उन्हें लाभ नहीं मिल पा रहा है. -ललित मोहन, पोरा
गांव में पंचायत भवन शुरू हो जाए तो इसका पूरा लाभ ग्रामीणों को मिल सकेगा। विशेषकर ऑनलाइन सुविधाओं का लाभ मिलेगा। -हरेंद्र प्रताप सिंह, पोरा
ग्रामीणों को दी जाने वाली ऑनलाइन योजनाओं के लाभ की समीक्षा के आधार पर ग्राम पंचायत पोरा का दौरा किया गया। निरीक्षण में सामने आया कि ग्राम पंचायत पोरा स्थित पंचायत भवन में पुलिस चौकी संचालित की जा रही है. इस कारण ई-डिस्ट्रक्ट आईडी काम नहीं कर रहा है। इसकी जानकारी पंचायती राज विभाग द्वारा उच्चाधिकारियों को दी जाएगी। वहीं, पुलिस अधीक्षक हाथरस को भी पत्र लिखकर पूरे मामले की जानकारी दी जा रही है। सुबोध जोशी, डीपीआरओ
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