शहर की एक दुकान पर मिठाई बिक रही है
– फोटो : अमर उजाला
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होली का त्योहार आते ही लोग खरीदारी में लग गए हैं। लेकिन जरा सी लापरवाही सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है। दरअसल, मिठाई से लेकर आइसक्रीम, सॉफ्ट ड्रिंक और मसालों में हानिकारक रंग पाए जाते हैं। इसलिए खाने का सामान जांच कर ही खरीदना चाहिए।
होली के त्योहार पर मिठाई, फुलवारी, शीतल पेय की खूब बिक्री होती है। कोरोना का असर कम होने के दो साल बाद बाजार में काफी रौनक नजर आ रही है। दुकानदार इस मौके को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। त्योहार आने से पहले ही मिलावटखोर भी सक्रिय हो गए हैं। खाने की कई चीजों में हानिकारक रंगों का इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसे में इन फूड्स के इस्तेमाल से लोगों को किडनी, लीवर डैमेज से लेकर कैंसर तक का खतरा है।
मिलावट ऐसे होती है
मिठाई, आइसक्रीम, चॉकलेट, सॉफ्ट ड्रिंक्स से लेकर मसालों तक में हानिकारक रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। ये रंग दो प्रकार के होते हैं। कोलतार (खाद्य) और प्राकृतिक (पेंट)। खाने-पीने की चीजों में केवल बिटूमेन रंग मिलाने की अनुमति है। इसमें लाल, पीला, हरा और नीला रंग महत्वपूर्ण है। यह अम्लीय और क्षारीय दो प्रकार का होता है। अन्य सभी अम्लीय और क्षारीय रंगों का प्रयोग वर्जित है। हालाँकि, अब बिटुमिनस रंगों में भी रसायन मिलाए जा रहे हैं। उदाहरण के लिए, सूडान 293 जैसे घुलनशील बिटुमेन रंग को पिसी हुई लाल मिर्च में मिलाया जाता है, ताकि कचरा, कंकड़, आरी की धूल आदि को छिपाया जा सके।
खाद्य पदार्थों में रंगों की मिलावट डायरिया और बुद्धि को प्रभावित करती है। मिलावटी खाना धीमा जहर होता है। इससे शरीर के विभिन्न अंगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। लंबे समय तक इस्तेमाल से कैंसर का जानलेवा खतरा होता है। – डॉ. वरुण चौधरी, चिकित्सक, बागला जिला अस्पताल
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