सरसों की फसल (फाइल फोटो)
फोटोः बासित जरगर
विस्तार
प्रदेश में रेशम उत्पादन के नाम पर काफी फर्जीवाड़ा किया गया है। गेहूं-सरसों और लही के खेतों में रेशम की उपज दिखाकर करोड़ों रुपए की सब्सिडी हड़प ली। सब्सिडी की राशि से रेशम उत्पादन के लिए शेड की जगह मकान बनाए गए। इस गेम को करीब 200 लोग कर चुके हैं। जियो टैगिंग ने इस घोटाले का पर्दाफाश कर दिया है।
अब जालसाजी रोकने के लिए रेशम विभाग को हाईटेक कर दिया गया है, ताकि वास्तविक किसानों को सरकार से सब्सिडी का लाभ मिल सके। टूल किट में रेशम के लिए जरूरी औजार भी बांटे गए। टूल किट बांटने के नाम पर विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा ही कंपनी बनाकर उसमें मिलावट करने की शिकायत की जाती रही है. इसकी जांच की जा रही है।
पानी में करीब छह करोड़ की सब्सिडी
एक रेशम उत्पादक को शहतूत की खेती से लेकर भवन निर्माण तक करीब 3.30 लाख रुपये की सब्सिडी मिलती है। इस टूल किट में 30 हजार रुपए भी शामिल हैं। विभागीय जांच में खुलासा हुआ कि करीब 200 लोगों ने बिना एक ग्राम रेशम का उत्पादन किए तीन-तीन लाख रुपये हड़प लिए। अब जालसाजी को खत्म करने के लिए एक नई वेबसाइट बनाई गई है जिसका नाम है-sericulture.up.gov.in.
प्लांट टू बिल्डिंग टैगिंग
अब सब्सिडी हड़पने के लिए जालसाज किसी और की जमीन, नींव किसी और का, भवन किसी और का और लिंटर कहीं और दिखाकर सरकार को चूना लगा रहे थे… इसे रोकने के लिए जियो टैगिंग यानी जियो रेफर किया जा रहा है।
Source link
Recent Comments