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ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि जब चीनी दूरसंचार कंपनी हुवावेई को कनाडा ने प्रतिबंधित किया था तभी से दोनों देशों के संबंध खराब होने लग गये थे। जहां तक अमेरिका और चीन के संबंधों की बात है तो उसमें कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं आया है।
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी जी से जानना चाहा कि चीन और कनाडा आजकल आपस में क्यों भिड़े हुए हैं जबकि अमेरिका और चीन संबंध सुधारने की कवायद कर रहे हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि चीन ने कनाडा के एक सांसद को कथित रूप से धमकाने के मामले में चीनी राजनयिक के निष्कासन की घोषणा के जवाब में कनाडाई राजनयिक को निष्कासित करने का ऐलान किया है। देखा जाये तो चीन का इरादा ही हो गया है कि हर देश के आंतरिक मुद्दों में हस्तक्षेप करो और विवाद बढ़ाओ। उन्होंने कहा कि चीन पर आरोप है कि वह कनाडा के चुनावों को भी बाधित कर सकता है। इसके अलावा चीन अपने एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए कनाडा में लोगों को प्रलोभन दे रहा है जोकि वहां की सरकार की पकड़ में आ गया है। जब चीनी दूरसंचार कंपनी हुवावेई को कनाडा ने प्रतिबंधित किया था तभी से दोनों देशों के संबंध खराब होने लग गये थे। जहां तक अमेरिका और चीन के संबंधों की बात है तो उसमें कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं आया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि अमेरिका के चीन के साथ बहुत जटिल और अहम संबंध हैं। ब्लिंकन ने दोनों देशों के बीच संवाद को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि संवाद स्थापित करना और उसे मजूबत करना भारत एवं चीन के हित में है तथा बाकी दुनिया ‘‘हमसे इसकी अपेक्षा करती है।’’
ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी ने बताया कि ब्लिंकन ने कहा, ‘‘हम दोनों देशों (अमेरिका और चीन) के राष्ट्रपतियों ने पिछले साल के अंत में बाली में मुलाकात के दौरान इस बात पर सहमति जताई थी कि हमारे बीच संवाद के माध्यमों को स्थापित और मजबूत करना अहम होगा। हमारा मानना है कि यह हमारे हित में है और शेष दुनिया भी हमसे यही अपेक्षा करती है, क्योंकि हमसे यह उम्मीद की जाती है कि हम अपने संबंधों का जिम्मेदारी से प्रबंधन करेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि हमारे बीच गहरे मतभेद होने के मद्देनजर हमारी जिम्मेदारी है कि हम न केवल इन मतभेदों का प्रबंधन करें, ताकि प्रतिद्वंद्वता संघर्ष में तब्दील न हो, बल्कि उन संभावनाओं का भी प्रबंधन करें, जिनसे दोनों देशों का हित हो, जो दुनिया की जरूरतों को पूरा करें और साथ ही सहयोग के क्षेत्रों को तलाशा जाए।’’ ब्लिंकन ने कहा, ‘‘जब ताइवान जलडमरूमध्य में शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने और चीन के साथ सहयोग करने के तरीके खोजने जैसे अहम मामलों की बात की आती है, तो हम बड़ी चुनौतियों को हल करने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं। दुनिया भर के लोग बड़ी शक्तियों से यही उम्मीद करते हैं और यह हमारे सामूहिक हित में है।’’
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