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सऊदी सरकार ने यह फैसला मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए योग के महत्व को देखते हुए लिया है। अरब न्यूज ने इस बात की जानकारी दी है।
कुछ सालों बाद अगर ये सवाल पूछा जाएगा कि दुनिया को भारत की सबसे बड़ी देन क्या है तो बेहिचक जवाब होगा ‘योग’। विकास की अंधी दौड़ में जिंदगी को उतनी ही तेज़ रफ़्तार में दौड़ाते विश्व को समझ आने लगा है कि जीवन की सार्थकता और ताज़गी के लिए योग का सहारा लेना ही होगा। पूरी दुनिया में अब योग का डंका बजने लगा है। अब योग के जरिये पूरी दुनिया को सउदी अरब की तरफ से संदेश दिया जा रहा है। बता दें कि सउदी अरब की तरफ से उसके विश्विद्यालयों में योग की क्लास शुरू होने वाली है। हालांकि कुछ कंट्टरपंथियों ने इसमें भी मजहब को आड़े लाकर विरोध किया लेकिन इसका कुछ खास असर देखने को नहीं मिला। सऊदी सरकार ने यह फैसला मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए योग के महत्व को देखते हुए लिया है। अरब न्यूज ने इस बात की जानकारी दी है। सऊदी यूनिवर्सिटी स्पोर्ट्स फेडरेशन द्वारा आयोजित ‘द रोल ऑफ यूनिवर्सिटी स्पोर्ट्स इन सपोर्टिंग द किंगडम्स विजन इन स्पोर्ट्स’ नामक एक फोरम के दौरान रियाद में यह घोषणा की गई। सऊदी अरब का मुस्लिम देश कई तरह की रूढ़िवादिता में फंसा हुआ है। लेकिन वह विदेशी पर्यटकों और निवेशकों को लुभाने के लिए लगातार सुधारों को लागू कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले कुछ महीनों में योग को समर्थन और बढ़ावा देने के लिए देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों के साथ कई समझौते किए जाएंगे। सऊदी योग समिति के अध्यक्ष नौफ अल-मरवई ने कहा कि समिति विश्वविद्यालयों में योग को पेश करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है, स्वास्थ्य और कल्याण के लिए योग के महत्व पर जोर दे रही है। उन्होंने कहा कि योग करने से शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के स्वास्थ्य लाभ होते हैं।
कट्टरपंथियों से धमकियां मिल रही हैं
अल-मारवाई देश में योग को सामान्य बनाने के प्रयासों का नेतृत्व कर रहा है। उन्हें ‘योग इस्लाम के साथ असंगत है’ की धारणा को चुनौती देने के लिए कट्टरपंथियों की धमकियों का भी सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि योग सिर्फ ध्यान नहीं है बल्कि इसमें कई आसन भी हैं। इससे पहले पिछले साल दिसंबर में सऊदी अरब ने योग को बढ़ावा देने के लिए एक कार्यक्रम की मेजबानी की थी और इसमें भाग लेने के लिए 11 अरब देशों को आमंत्रित किया था।
योग को एक खेल के रूप में मान्यता मिली
सऊदी अरब में दशकों से आधिकारिक रूप से योग की अनुमति नहीं थी। सऊदी अरब एक मुस्लिम देश है जहां सभी गैर-मुस्लिम प्रथाओं पर प्रतिबंध है। लेकिन सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, जो ‘उदारवादी इस्लाम’ की बात करते हैं, ने देश में योग को एक खेल के रूप में मान्यता दी है। हालांकि योग को सऊदी विश्वविद्यालयों में कट्टरपंथियों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
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